हमारी दुनिया में विभिन्न प्रजाति के जीव जन्तु रहते हैं, जिन्हें हम जानते हैं| लेकिन कुछ ऐसी प्रजातियाँ भी हैं जो, अभी भी इंसानों की नज़र से बची हुई है| निरंतर ऐसे दुर्लभ जीव जंतुओं की खोज, कई देशों के जीववैज्ञानिक करते रहते हैं और इसी कार्य से प्रेरित होकर, सोने का घोंसला (sone ka ghosla) एक रहस्यमयी काल्पनिक कहानी (mystery story) लिखी गई है| मुझे पूरी उम्मीद है, पाठकों को यह कहानी बहुत पसंद आएगी| एक गाँव में शिवा नाम का एक लड़का था| उसे जीव जन्तुओं में बहुत रुचि थी| वह ज़्यादातर छोटे मोटे कीड़े मकोड़े और पक्षियों के साथ ही, समय व्यतीत किया करता था| शिवा के माता पिता किसान थे, लेकिन शिवा जीव वैज्ञानिक बनना चाहता था, इसी लिए उसने, विज्ञान विषय से अपना स्नातक किया था| उसे नए नए जीवों की खोज करने में, ख़ुशी मिलती थी| शिवा कॉलेज की पढ़ाई ख़त्म कर चुका था और अब वह जंगलों में जाकर, रोमांचक ज़िंदगी जीना चाहता था| लेकिन वैज्ञानिक की चयन प्रक्रिया के लिए, ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा पास करना अनिवार्य था| हालाँकि शिवा को, अपने विषय की पर्याप्त जानकारी पहले से थी| वह बचपन से ही, जीव जन्तुओं में डूबा था, जिस वजह से उसे हर जानवर के स्वभाव का पता था और वह जीवों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जानता था और परीक्षा में, जीव जंतुओं से जुड़े प्रश्न ही पूछे जाने थे| शिवा अनुसंधान केन्द्र जाकर, ऑनलाइन वैकल्पिक परीक्षा में शामिल होता है और अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण हो जाता है| परीक्षा केंद्र में ही, सभी को उनका परीक्षाफल बता दिया जाता है| शिव परीक्षाफल से बेहद प्रसन्न था क्योंकि, उसका चयन हो चुका था| अगले दिन से ही चुने गए छात्रों को, जीव जन्तुओं के बारे में, सामान्य जानकारी देने हेतु, अनुसंधान केन्द्र बुलाया जाता है| इसके बाद ज़रूरी उपकरण लेकर, उन्हें एक सुरक्षित गाड़ी में बैठाकर जंगल लाया जाता है| जंगल रहस्यमयी था|

आसमान में विभिन्न प्रजाति के पक्षी उड़ रहे होते हैं| सभी छात्रों को एक एक पक्षी के बारे में, जानकारी जुटाकर लाने को कहा जाता है| छात्र अलग अलग दिशाओं में, पक्षियों का पीछा करते करते जानकारियाँ लिख रहे होते हैं| तभी शिवा की नज़र, एक अद्भुत सी चिड़िया पर पड़ती है| वह धीरे धीरे उसके क़रीब पहुँचता है| अचानक चिड़िया अपने मुँह से, आग फेंक कर उड़ जाती है| शिवा ने आज तक इतनी दुर्लभ चिड़िया नहीं देखी थी| इसका आकार एक बाज़ के बराबर था और मुँह से आग की ज्वाला निकल रही थी| शिवा चिड़िया के पीछे पीछे चलने लगता है| चिड़िया इस डाल से उस डाल, बैठते हुए, एक बड़े से पेड़ के ऊपर पहुँच जाती है| शिवा चिड़िया का घोंसला देखना चाहता था, इसलिए वह चिड़िया के जाने का इंतज़ार करने लगता है| अचानक वह चिड़िया उड़कर, एक बड़े से पहाड़ की तरफ़ चली जाती है और उसी वक़्त शिवा, पेड़ के ऊपर चढ़कर, चिड़िया के घोंसले तक पहुँच जाता है| घोंसले को देखते ही, शिवा आश्चर्यचकित हो जाता है क्योंकि, यह घोसला सामान्य घास के तिनके का नहीं, बल्कि सोने के रेशों से बना था| सोने का घोंसला (sone ka ghosla) देखकर, शिवा बहुत ख़ुश होता है| दरअसल शिवा को एहसास था कि, यह बहुत बड़ी खोज साबित होगी| आज तक किसी भी वैज्ञानिक ने, ऐसे किसी पक्षी को नहीं खोजा था जो, सोने के घोंसले में रहता हो| शिवा उत्साहित होकर, ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगता है| उसकी आवाज़ सुनकर, रिसर्च टीम के सभी सदस्य, पेड़ के पास आ जाते हैं और उनके आते ही, शिवा उन्हें सोने का घोंसला (sone ka ghosla) दिखाता है, जिसे देखते ही, वैज्ञानिकों के होश उड़ जाते हैं| टीम में शामिल प्रमुख वैज्ञानिक शिवा को, पेड़ से नीचे आने को कहते हैं| दरअसल वैज्ञानिकों को अब सोने का घोंसला (sone ka ghosla) नहीं, बल्कि घोंसले को बनाने वाली चिड़िया, पकड़ना चाह रहे थे| शिवा को जैसे ही, यह बात पता चलती है| वह उदास हो जाता है, क्योंकि वह जीव जंतुओं को क़ैद करने के सख़्त ख़िलाफ़ था | वैज्ञानिकों को शोध करने के लिए, जानवरों को पकड़ना ही पड़ता है| सभी मिलकर चिड़िया को पकड़ने के लिए, उसके घोंसले के पास, एक जाल बिछाते हैं और कई घंटों के इंतज़ार के बाद, वह चिड़िया आते ही, वैज्ञानिकों के लगाए हुए फंदे में, फँस जाती है| चिड़िया छटपटाने लगती है और उसे छटपटाता हुआ देख, शिवा को ग़ुस्सा आता है, लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता, इसलिए शांति से खड़ा होकर देखता रहता है| चिड़िया को जाल सहित उतारकर, अनुसंधान केंद्र ले जाया जाता है| वैज्ञानिकों को शिवा की इस खोज पर गर्व होता है| वह शिवा को सार्वजनिक तौर पर बधाई देते हैं, लेकिन शिवा इस कामयाबी से ख़ुश होने की बजाय दुखी था| चिड़िया का आकार, एक विशाल पक्षी के बराबर था जोकि, अपने आप में ही रहस्यमयी था|

इतने दुर्लभ चिड़िया की खोज से, इंटरनेट में तहलका मच जाता है| सभी सोने का घोंसला (sone ka ghosla) बनाने वाली रहस्यमई चिड़िया के बारे में, अधिक से अधिक जानना चाहते थे| चिड़िया का शारीरिक परीक्षण किया जाता हैं| इस दौरान चिड़िया का मुँह, बंद करके रखते हैं ताकि, किसी के साथ कोई हादसा न हो| चिड़िया के परीक्षण से, जो आंकड़े प्राप्त होते हैं, वह चौंकाने वाले थे| यह चिड़िया सामान्य पक्षियों की तरह, खाना नहीं खाती थी, बल्कि इसके पाचन तंत्र में, खनिज पदार्थ पाए गए थे, जो कि ज़मीन के भू भाग में स्थित होते हैं| वैज्ञानिकों को ताज्जुब हो रहा था| ऐसा दुर्लभ जीव, आज भी इस दुनिया में उपस्थित है| वैज्ञानिकों को शंका होती है कि, इसके जैसे और भी पक्षी जंगल के आस पास हो सकते हैं| चिड़िया का घोंसला बहुत बड़ा था, जिसमें लगभग 50-60 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया था| घोंसला किसी अनमोल ख़ज़ाने से कम नहीं था| चिड़िया और उसका सोने का घोंसला (sone ka ghosla) दोनों ही, अद्भुत थे| अनुसंधान केन्द्र में सब कामयाबी का जश्न मना रहे थे, लेकिन शिवा बहुत पछता रहा था| उसे रह रह कर, लग रहा था कि, उसने चिड़िया का सारा जीवन तबाह कर दिया| तभी शिवा तय करता है कि, वह इस चिड़िया को आज़ाद करके रहेगा और वह सभी से जाकर कहता है कि, “यदि हम चिड़िया के पैरों में ट्रैकिंग डिवाइस लगाकर छोड़ दें तो, हो सकता है, हमें उस जगह का पता चल जाएगा, जहाँ से चिड़िया ने, सोने के तिनके इकट्ठे किए हैं|” वैज्ञानिकों को शिवा की बात बहुत अच्छी लगती है| अब वैज्ञानिक सोने के भंडार को खोजने का लक्ष्य बना लेते हैं| चिड़िया के पैरों में इलेक्ट्रॉनिक चिप लगाकर, उसे जंगल में ले जाकर छोड़ दिया जाता है| इसी दौरान सभी के पास, एक मॉनिटर स्क्रीन होती है, जिसमें उड़ रही चिड़िया की लोकेशन दिखायी दे रही थी| सभी चिड़िया पीछा करते हुए, एक पहाड़ के पास पहुँच जाते हैं और वह चिड़िया पहाड़ के ऊपर पहुँच जाती है| पहाड़ की ऊँचाई देखकर, किसी की हिम्मत ऊपर जाने की नहीं होती, लेकिन सभी को पूरा यक़ीन होने लगा था कि, ज़रूर पहाड़ के ऊपर सोने का विशाल भंडार है, इसीलिए चिड़िया वहाँ जाकर बैठी है| तभी वैज्ञानिक हेलिकॉप्टर बुलवाते हैं और उस पर बैठकर, पहाड़ के ऊपर पहुँच जाते हैं|

ऊपर पहुँचते ही, उन्हें एक बहुत विशाल पानी का कुण्ड दिखाई देता है| ठीक उसी कुंड के अंदर, वह चिड़िया तैर रही होती है| कुंड का पानी सुनहले रंग का दिखाई दे रहा था| अचानक वैज्ञानिकों को देखकर, चिड़िया वहाँ से उड़ जाती है हालाँकि, चिड़िया के पैरों में ट्रैकिंग चिप लगी हुई है, जिससे उसे ढूँढना आसान होगा| वैज्ञानिक पानी के कुंड के अंदर, गोताखोरों को भेजते हैं| कुंड के अंदर जाते ही, गोताखोर तुरंत वापस लौट आते हैं और बाहर आकर सभी के सामने ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगते हैं, “अंदर सोने की बहुत सारी घास है”| पानी के अंदर सोने की घास, मिलने से रिसर्च टीम के हाथ एक बहुत बड़ा ख़ज़ाना लग चुका था| सोने के भंडार का पता चलते ही, चिड़िया को दोबारा, ट्रैक करके पकड़ लिया जाता है और उसे अनुसंधान केन्द्र भेजने के लिए, शिवा को चुना जाता है| वैज्ञानिकों का आदेश मिलते ही, शिवा मन ही मन ख़ुश हो जाता है क्योंकि, उसे प्रायश्चित करने का मौक़ा मिल चुका था| वह हेलीकॉप्टर में बैठकर, धीरे से चिड़िया के पैरों से ट्रैकिंग चिप निकालकर, उसे पिंजरे से आज़ाद कर देता है और अगले ही पल, चिड़िया आसमान में उड़ने लगती है| शिवा को उसकी इस गलती के लिए, गिरफ़्तार कर लिया जाता है और उसे दोषी मानकर, अनुसंधान केंद्र से निष्कासित कर दिया जाता है और साथ ही, उसकी अंक सूचियों को, अमान्य कर दिया जाता है, ताकि वह कभी वैज्ञानिक के लिए, आवेदन न दे सके| शिवा को, अनुसंधान केंद्र से, निकाले जाने का कोई ख़ास दुख नहीं होता, क्योंकि उसे ख़ुशी थी कि, उसने पक्षी को आज़ाद कर दिया था| वह अच्छे से जानता था कि, यह कोई सामान्य पक्षी नहीं जो, अनुसंधान केन्द्र के पिंजरे में रखा जाए, बल्कि यह तो आसमान राजा है, जिसके रहने की जगह सोने का घोंसला (sone ka ghosla) है| शिवा चिड़िया को फिर से देखने की आस में, आसमान की ओर सर उठाता है और यह रहस्यमयी कहानी (mystery story) ख़त्म हो जाती है|
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