online story reading सभी को पसंद होता है, लेकिन कहानियां अगर रोमांचक हो, बात ही कुछ और होती है, ऐसी ही कहानी, एक रहस्यमयी जगह की है, जहां संजीवनी के पहाड़ों के बीच, अमृत की नदियां बहती थी | इस जगह पर क़दम रखने से ही, शरीर के सारे कष्ट समाप्त हो जाते थे | यह जगह जितनी ख़ूबसूरत थी, उतनी ही रहस्यों से भरी थी | यहाँ इन्सानों का कोई अस्तित्व नहीं था | दरअसल रहस्मयी दुनिया पहुँचने के लिए, जानवरों से भरा हुआ ख़ूंखार जंगल पार करना पड़ेगा जो, कि इन्सानों के लिए असंभव है | वक़्त प्राचीन काल का था, इसलिए तकनीक का अभाव सबसे बड़ी समस्या थी | रहस्यमयी दुनिया ( rahasyamayi duniya ) में जाने के लिए पहले भी कई लोग प्रयास कर चुके थे, लेकिन वह आधे रास्ते से आगे कभी नहीं जा पाए | रहस्यमय दुनिया के सबसे निकट एक गाँव था, जहाँ विशाल नाम का घुड़सवार रहता था | उसके पिता की मृत्यु हो चुकी थी | तभी से वह अपने घर की ज़िम्मेदारी संभाल रहा था | विशाल की माँ बीमार रहती है | वह अपनी माँ का बहुत ध्यान रखता है | सुबह से शाम तक, घोड़ा गाड़ी चलाकर विशाल अपने और अपनी माँ की, रोज़ी रोटी चलाता था | विशाल एक दिन देर से घर आता है | विशाल की माँ, जो कि काफ़ी देर से उसका इंतज़ार कर रही होती है, उसके आते ही, उससे पूछती है, “बेटा तुम सारा दिन कहा थे” | विशाल थोड़ा परेशान होता है |

वह अपनी माँ से कहता है, “आज कोई भी आमदनी नहीं हुई माँ | मैं काफ़ी समय तक सवारी का इंतज़ार करता रहा, इसलिए आने में देर हो गई” | विशाल की माँ उसे खाना खाने के लिए कहती है | विशाल भी हाथ पैर धोकर, खाना खाना बैठ जाता है, लेकिन जैसे ही विशाल की माँ खाना परोसती है, उसे चक्कर आ जाता है और वह खाने के साथ वहीं गिर जाती है | अपनी माँ को बेसुध होता देख, विशाल घबरा जाता है | वह अपनी माँ को तेज़ी से आवाज़ लगाने लगता है | तुरंत उनके चेहरे में पानी डालता है और उन्हें उठाने की कोशिश करता है, लेकिन जब वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देती तो, विशाल अपनी माँ को, गोद में उठाकर घर के बाहर ले आता है | घर के बाहर ही सड़क के किनारे, वह रिक्शा के लिए आवाज़ लगाने लगता है तभी एक साइकल रिक्शा वाला आता है | विशाल रिक्शा लेकर हॉस्पिटल पहुँच जाता है | हॉस्पिटल में विशाल की माँ का इलाज, आपातकालीन अवस्था में किया जाता है | सारे परीक्षण करने के बाद, डॉक्टर विशाल को बताते हैं कि, “तुम्हारी माँ को आख़िरी स्टेज का कैंसर है जिसमें, उनका बचना असंभव है” | विशाल को डॉक्टर की बात सुनकर झटका लगता है | वह वहीं ज़मीन पर बेसुध होकर बैठ जाता है | विशाल अपने पिता को पहले ही खो चुका था, लेकिन माँ को खोने के डर से, वह कांपने लगता है | विशाल अपनी माँ के पास जाता है, लेकिन उनसे यह बात छुपा लेता है कि, उन्हें कैंसर है आख़िरी वक़्त वह अपनी माँ के साथ, अपने ही घर में रहना चाहता है | विशाल की माँ उससे पूछती है, “बेटा मुझे क्या हुआ है” लेकिन वह कहता है, “माँ तुम बिलकुल ठीक हो | बस तुम्हें थोड़ा सा अपनी तबियत का ध्यान रखना पड़ेगा” | वह विशाल की बात सुनकर मुस्कुराने लगती है | वह अपनी माँ के लिए कुछ दवाएँ ख़रीदता है और उन्हें अपने साथ घर ले जाता है | वह अपनी माँ के लिए चिंतित होता है, इसलिए किताबों में कैंसर का इलाज ढूँढने लगता है, क़िस्मत से उसे एक किताब मिलती है, जिसमें रहस्यमयी दुनिया ( rahasyamayi duniya ) का एक लेख मिलता है | वह उसके बारे में जानकर जिज्ञासु होने लगता है | उसे लगता है कि, यदि वह रहस्मयी दुनिया चला जाए तो, अपनी माँ के लिए कुछ ना कुछ औषधियाँ ज़रूर ला पाएगा | अब वह रहस्यमयी दुनिया ( rahasyamayi duniya ) का नक़्शा जानना चाहता था | लेख में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं होती है, इसलिए वह लेख लिखने वाले से मिलने का विचार बनाता है | वह अपनी माँ को बचाने के लिए, किसी भी हद तक जा सकता था | वह उससे संपर्क करके, उसके पास पहुँच जाता है और अपनी माँ के बारे में सारी बात बताता है | जैसे ही, उस व्यक्ति को विशाल की माँ की बीमारी का पता चलता है तो, वह उसकी मदद करने के लिए मान जाता है | वह कुछ ही मिनट के अंदर काग़ज़ पर, विशाल को आधे रास्ते का नक़्शा बनाकर दे देता है | विशाल को आधा रास्ता तो पता चल चुका था, लेकिन उसके आगे कैसे बढ़ाना है | वह नहीं जानता, फिर भी अपनी माँ के लिए, मौत की रास्ते में सफ़र शुरू कर देता है | विशाल अपने घोड़े के साथ जंगल का रास्ता चुनता है |

जंगल के रास्ते मैं हर पल एक नया ख़तरा सामने आ रहा था पेड़ों पर बड़े बड़े साँप लटक रहे थे | विशाल उनसे बचते हुए, आगे बढ़ रहा था लेकिन अचानक विशाल का घोड़ा रास्ते में, एक कीचड़ के दलदल में फँस जाता है | विशाल घोड़े से छलांग लगाकर कूदता है और पेड़ की जड़ की मदद से, अपने घोड़े को बाहर खींचने का प्रयास करता है और काफ़ी देर तक ज़ोर लगाने के बाद, वह अपने घोड़े को बाहर खींचने में क़ामयाब हो जाता है, लेकिन घोड़े की हालात बदतर हो जाती है और वह आगे चलने योग्य नहीं रहता | विशाल का सफ़र अभी लंबा है, लेकिन यदि उसका घोड़ा साथ नहीं होगा तो, उसके सफ़र की मुश्किलें और बढ़ सकती थी, इसलिए वह अपने घोड़े के साथ कुछ घंटे आराम करता है और जैसे ही घोड़े की हालत चलने लायक होती है तो, विशाल दोबारा अपना सफ़र प्रारंभ कर देता है | अब विशाल के घोड़े की गति पहले की तुलना में कम हो चुकी थी, इसलिए वह धीरे धीरे चल रहा था | कुछ दूर पहुँचते ही, रास्ते में एक बहुत बड़ा पेड़ गिरा होता है | पेड़ की उंचाई देखकर विशाल का घोड़ा वही रुक जाता है | विशाल आगे बढ़ने के लिए अपना रास्ता बदल देता है और जैसे ही वह रास्ता बदलकर, थोड़ा आगे पहुँचता है | उसे एक गुफा दिखाई देती है | वह अपने घोड़े को बाहर बाँध कर, गुफा के अंदर प्रवेश कर जाता है | गुफा के चारों तरफ़ चमगादड़ उल्टे लटके हुए थे | विशाल के अंदर घुसते ही, चमगादड़ हवा में उड़ने लगते हैं | विशाल हिम्मत करते हुए, आगे बढ़ रहा होता है, अचानक विशाल का पैर फिसल जाता है और वह गुफा में बने एक, गुप्त रास्ते से फिसलता हुआ, पहाड़ी के दूसरी तरफ़ पहुँच जाता है | जहाँ एक अलग ही दुनिया दिखाई दे रही थी | विशाल को एहसास होने लगा था कि, यह वही रहस्यमयी दुनिया ( rahasyamayi duniya ) है, जहाँ वह पहुँचना चाहता था | विशाल ने आज तक इतने ख़ूबसूरत पेड़ नहीं देखे थे | विशाल को अमृत से भरी हुई नदी नज़र आती है, जिसका पानी सुनहला था | विशाल जैसे ही, नदी के क़रीब पहुँचता है | उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती है, क्योंकि नदी में दैत्याकार मगरमच्छ तैर रहे थे | मगरमच्छों को देखते ही विशाल, दहशत में आ जाता है | ख़तरे को भाँपते हुए विशाल, नदी के किनारे आकर थोड़ा सा पानी उठाकर पी लेता है, जैसे ही विशाल अमृत पानी पीता है | वह ओजस्वी हो जाता है | मानो उसके अंदर ब्रम्हाण्ड की सारी शक्ति समा गई हो | विशाल बदल चुका था और अब उसके अंदर, आत्मविश्वास आ चुका था | अमृत जल लेकर, विशाल अपने घोड़े के पास आता है और थोड़ा सा अमृत जल, घोड़े के मुँह में भी डाल देता है | अमृत जल दिव्य शक्तियों से भरा हुआ है, जिसकी एक बूँद मात्र से ही घोड़ा फुर्तीला हो जाता है और उछलने लगता है |

विशाल अपने घोड़े पर बैठकर, जंगल के बाहर निकलने का रास्ता ढूँढने लगता है, लेकिन अब विशाल को हर बात का आभास पहले से हो रहा था | उसकी सारी इंद्रियां जाग चुकी थी | विशाल को जितना समय जाने में लगा था, उससे आधे समय में ही वह जंगल से बाहर आ जाता है | 72 घंटों के सफ़र के बाद, विशाल अपनी माँ के पास पहुँच जाता है और उन्हें अमृत जल पिला देता है | अमृत जल के असर से, विशाल की माँ तंदुरुस्त हो जाती है | अपनी माँ की तबीयत अच्छी होते देख, विशाल की आँखों में आँसू आ जाते हैं, लेकिन यह ख़ुशी के आँसू होते हैं | विशाल ने अपनी माँ को अभयदान दे दिया था | यह बेटे का, अपनी माँ के लिए, सच्चा संघर्ष था | इसी के साथ यह रहस्यमयी दुनिया ( rahasyamayi duniya ) की कहानी समाप्त हो जाती है |
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