ये nai nai kahaniyan ( कहानी ) आज के तकनीकी बदलाव के दुष्प्रभाव पर प्रकाश डालती है | वक़्त बदल चुका था | पूरी दुनिया में अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का वर्चस्व था | रोज़गार सिर्फ़ रोबोट को मिल रहा था | लगभग हर क्षेत्र में तकनीक का परचम लहर चुका था और सभी काम जैसे इन्जीनियर, डॉक्टर, सुरक्षा आदि के लिए अब रोबोट की नियुक्ति की जाती थी | स्कूल में बच्चों को पढ़ाने से, लेकर होटल में खाना खिलाने तक, हर जगह केवल रोबोट ही रोबोट दिख रहे थे | दुनिया देखने में ख़ूबसूरत और व्यवस्थित लग रही थी | लेकिन यह तो तूफ़ान आने से पहले का सन्नाटा था | हर क्षेत्र में रोबोट होने से काम की गति बहुत तेज़ हो चुकी थी | लेकिन भावनात्मक कार्यशैली का पतन हो चुका था | अब बात केवल क़ानून पर होती थी | लोगों को धीरे धीरे एहसास होने लगा, कि इंसान के जीवन में भावनाओं का क्या महत्व है, क्योंकि ये रोबोट केवल अपने काम को बड़ी ईमानदारी से करते थे | लेकिन उन्हें इंसानी भावनाओं का कोई ख्याल नहीं होता था | लोगों को अब इसी तरीक़े के बर्ताव की आदत हो चुकी थी | लोग अपने घरों में भी मशीन की तरह बर्ताव करने लगे थे | इन सब बातों के बीच कुछ आतंकी संगठन, अपनी तकनीक के ज़रिए, रोबोट्स को अपने कंट्रोल मैं लेने का सॉफ़्टवेयर तैयार कर लेते हैं और शुरू हो जाता है, आतंक का आगाज़ | देखते ही देखते शहरों की व्यवस्थाएं बिगड़ने लगती है |

पुलिस में ड्यूटी कर रहा रोबोट, अचानक अपनी बंदूक निकालकर भीड़ के ऊपर गोलियां बरसाना शुरू कर देता है | ऐसे ही कई क्षेत्रों के रोबोट्स, अपने कंट्रोल से बाहर जा चुके थे | दिन प्रतिदिन ऐसी घटनाएँ आम होने लगीं | कभी कोई रोबोट रेल पलटा देता तो, कही कोई रोबोट डॉक्टर इलाज के दौरान मरीज़ की जान ले लेता | आए दिन ऐसी घटनाओं से प्रशासन की चिंता बढ़ जाती हैं | उन्हें समझ में नहीं आता, कि अब इतने सारे क्षेत्रों के रोबोट को दोबारा कैसे परिवर्तित किया जाए, क्योंकि इंसानों को किसी सॉफ़्टवेयर के ज़रिए कंट्रोल नहीं किया जा सकता था, इसलिए प्रशासन के अधिकारी सोचने लगे, कि क्यों न ज़िम्मेदारियों से भरे कार्य को करने के लिए रोबोट नहीं, बल्कि इंसानों का ही इस्तेमाल किया जाए, ताकि वह अपनी सूझ-बूझ से निर्णय ले सकें | लेकिन यह काम अब जटिल हो चुका था, क्योंकि हर क्षेत्र में रोबोट्स ही काम कर रहे थे | धीरे धीरे कई रोबोट अपना कंट्रोल खो चुके थे | उन्हें मजबूरन लेज़र के ज़रिए, ख़त्म करना पड़ रहा था | यहाँ तक कि, शहरों में चलने वाली गाड़ियां भी, अब बिना ड्राइवर की चलती थी | इस वजह से उन्हें भी हैक करना आसान हो चुका था | अब आतंक करने के लिए बम की ज़रूरत नहीं, केवल सॉफ़्टवेयर की ज़रूरत होती थी | कई शहरों में तबाही का मंजर देखा जा रहा था | रोबोटिक्स इंजीनियर किसी भी तरीक़े की तकनीकी ख़राबी का पता नहीं लगा पा रहे थे | उन्हें भी एहसास होने लगा, कि यदि यह जल्द नहीं रोका गया, तो सारी दुनिया तबाह हो जाएगी | वैज्ञानिकों ने कई दिनों की, मेहनत के बाद एक ऐसा सॉफ़्टवेयर तैयार किया, जिसके ज़रिये सभी रोबोट्स को केवल एक सर्वर से ही कंट्रोल किया जा सकता था | यदि कोई उसे हैक करने का प्रयास करता तो, वह रोबोट निष्क्रिय हो जाते हैं और कार्य करना बंद कर देते हैं | लेकिन जैसे ही वैज्ञानिकों ने कुछ रोबोट्स, में यह सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल किया और इस वजह से कुछ अजीब ही परिणाम देखने को मिले |

अब वह रोबोट बिना किसी एक कंट्रोल के अपना काम करने में सक्षम थे | यहाँ तक की, कुछ रोबोट्स तो अब वैज्ञानिकों से भी ज़्यादा जानकारियां देने लगे थे | वैज्ञानिकों ने इस तरीक़े के रोबोट्स को कड़ी सुरक्षा में रख दिया, क्योंकि उन्हें आभास हो चुका था, कि यदि यह रोबोट बाहर चले जाएं, तो कुछ अनहोनी हो सकती है | वैज्ञानिकों की चर्चा चल ही रही होती है, तभी एक रोबोट आतंकी संगठन की लोकेशन बता देता है और साथ ही वह सभी संक्रमित रोबोट की जानकारी भी, वैज्ञानिकों को दे देता है | सूचना मिलते ही एडवांस फ़ोर्स सक्रिय हो जाती है और पलक झपकते ही, आतंकी संगठन के पूरे ठिकाने को राख के ढेर में बदल देती है | वैज्ञानिकों को अपने बनाए हुए सॉफ़्टवेयर पर गर्व होता है और उन्हें अब लगने लगता है, कि मशीनों को भी भावनात्मक होना चाहिए | तभी वह आम लोगों का जीवन समझ कर, उनसे तालमेल बना सकेंगे और इसी के साथ यह कहानी ख़त्म हो जाती है |
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