पनौती (Short story in hindi) best moral story:
एक कहावत तो, सभी ने सुनी होगी कि, ऊँट पर बैठे हो, तो भी कुत्ता काटा| इसी को पनौती कहा जाता है, जिसके जीवन की ग्रह दशा विपरीत होने लगती है, समझो उसकी पनौती शुरू हो गई है| पनौती को समझाने के लिए, एक ज़बरदस्त कहानी (Short story in hindi) की रचना की गई है| मुझे पूरी उम्मीद है, यह कहानी आपको भरपूर मनोरंजन प्रदान करेगी| एक गाँव में हीरालाल नाम का किसान रहता था| उसकी गिनती, गाँव के जमींदारों में होती थी| उसके पास कई एकड़ पुश्तैनी ज़मीन थी, जिसमें वह खेती किया करता था, लेकिन वह इतना अभागा था कि, उसकी खेती हर साल बर्बाद हो जाती थी| वह जो भी फ़सल सोच समझकर के बोता, उसमें कुछ न कुछ कमी रह जाती और तो और हीरालाल, जिस किसी व्यक्ति के खेत में जाकर खड़ा होता तो, खेत के उस हिस्से में कोई फ़सल नहीं होती थी| गाँव के ज़्यादातर लोग उसे पनौती समझते थे| कोई भी उसके पास खड़ा होना पसंद नहीं करता था| वह जिसके साथ होता, उसके सारे काम बिगड़ने लगते| हीरालाल अपनी बुरी क़िस्मत से परेशान था| वह अपने आप को कोसता रहता था| पनौती के चलते, दो बार उसकी शादी टूट चुकी थी, जिसके बाद उसने दोबारा कभी शादी नहीं की| भले ही हीरालाल की फ़सल हर साल बर्बाद हो जाती थी, लेकिन वह खेती करना नहीं छोड़ता था| इस साल मौसम विभाग की जानकारियों के अनुसार, ज़ोरदार बारिश होने की उम्मीद थी, जिसके चलते गाँव के लोगों में खेती को लेकर डर बना हुआ था| सभी को लग रहा था कहीं, ऐसा न हो कि हमारी फ़सलें बर्बाद हो जाए| लेकिन वहीं दूसरी तरफ़ हीरालाल के आत्मविश्वास में कोई कमी नहीं थी और वह बिना डरे अपने खेतों में जुताई करवा रहा था| हीरालाल को नुक़सान झेलने की आदत थी| गाँव के किसान डरे हुए होने के बावजूद, एक उम्मीद में अपने खेतों में बीज बोने लगते हैं| हीरालाल अपने गाँव के कई खेतों में जायज़ा लेने के लिए चक्कर लगाता है, लेकिन किसी खेत के अंदर वह प्रदेश नहीं करता, क्योंकि उसे अच्छे से पता है कि, वह एक पनौती है| अगर उसने किसी के खेत में क़दम रख दिया है और अगर उस जगह फ़सल नहीं हुई तो, इल्ज़ाम उसी पर आएगा| हालाँकि वह इस बात से अंदर ही अंदर दुखी रहता था, लेकिन वह अपने दिल का दर्द छुपा कर, अपने काम में लगा रहता था| गाँव में लगभग सभी ने अपने खेतों की बुवाई कर ली थी| बुवाई के दौरान पानी की हल्की बूंदाबांदी हो रही थी, लेकिन बुवाई होते ही एक सप्ताह में गाँव का माहौल बदलने लगा था| बारिश की बूंदों का आकार बढ़ चुका था|
किसान अपने खेतों से पानी निकालने की व्यवस्था में लगे हुए थे| किसानों के चेहरों में साफ़ साफ़ बारिश का डर नज़र आ रहा था, लेकिन हीरालाल के चेहरे में शिकन तक नहीं थी| वह बारिश से बेख़ौफ़ होकर, अपने खेतों में टहल रहा था| एक रात बारिश अपना विकराल रूप धारण कर लेती है| गाँव के आस पास के नदी नाले, पूरे उफान में आ जाते हैं| पानी गांव के खेतों में घुसने लगता है और जैसे ही लोग सुबह उठकर गाँव के चारों तरफ़ देखते हैं तो, उनके होश उड़ जाते हैं| गाँव के सभी किसानों के खेत पानी से डूब चुके थे| पानी ने सभी की फसलों को नष्ट कर दिया था| किसान इस त्रासदी से टूट चुके थे और अब सभी को पूरी उम्मीद थी कि, किसी भी खेत में एक दाना तक नहीं होगा और कुछ हफ़्ते गुज़रने के बाद वही हुआ, जिसका गाँव वालों को डर था| गाँव के किसी भी खेत में अनाज का एक पौधा तक नहीं उगा था, सिवाय हीरालाल के| आस पास के गांवों की सभी फ़सलें तबाह हो चुकी थी, लेकिन हीरालाल ने इस वर्ष की खेती में इतिहास रच दिया था| उसके खेतों में आज तक इतनी अच्छी फ़सल नहीं हुई थी, उसे ख़ुद इस बात पर यक़ीन नहीं था| दूर दूर के गाँव से, लोग हीरालाल के खेत देखने आ रहे थे| सब यह जानना चाहते थे कि, हीरालाल ने किस तरह के बीज और खाद का इस्तेमाल किया है, कि इतनी ख़तरनाक बारिश में भी, इसके खेतों की फ़सल बर्बाद नहीं हुई| हीरालाल मन ही मन प्रसन्न था, लेकिन कहीं न कहीं उसे अचंभा लग रहा था, कि आख़िर क्यों, सब के खेत बर्बाद हो गए, लेकिन उसके खेतों को कुछ नहीं हुआ”| गाँव वालों की नज़रों में हीरालाल के माथे से पनौती का ठप्पा हट चुका था| अब लोग उसे क़िस्मत का धनी समझने लगते हैं| हीरालाल पैदल अपने खेतों की तरफ़ जा रहा था, तभी उसे एक बुजुर्ग व्यक्ति नज़र आते हैं| हीरालाल उन्हें पहले से पहचानता था, इसलिए वह उनके पास जाकर बैठ जाता है और औपचारिकता के तौर पर, उनका हाल चाल पूछने लगता है| बुजुर्ग व्यक्ति, अपनी बहु से हीरालाल के लिए चाय लाने को कहते हैं| हीरालाल चाय पीने को मना कर देता है और कहता है, “अरे बाबूजी! अभी खेत जाना है, फिर थोड़ा शहर का काम भी है| यहाँ से गुज़र रहा था, इसलिए सोचा आपके पास थोड़ा बैठ लूँ तो आ गया| तभी एक गाय हीरालाल के पास आकर खड़ी हो जाती है| उस गाय को देखते ही, बुजुर्ग व्यक्ति का पूरा परिवार बाहर निकल आता है| सभी हीरालाल की तरफ़ आश्चर्य भरी निगाहों से देख रहे होते हैं, क्योंकि कुछ ऐसा चमत्कार हो चुका था, जिसकी इस परिवार ने कल्पना भी नहीं की थी| यह गाय मरने की हालत में थी और पिछले एक हफ़्ते से, उसने कुछ नहीं खाया था| उसके अंदर इतनी भी शक्ति नहीं थी कि, वह अपना सर ऊपर उठा सकें, लेकिन वह हीरालाल के पास चलते हुए आयी थी| परिवार के लोग उस गाय को बहुत प्यार करते थे और वह उसका इलाज भी करवा रहे थे, लेकिन गाय की हालात दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही थी, लेकिन आज जो हुआ, उसने हीरालाल को सबकी नज़रों में एक फ़रिश्ता बना दिया था| धीरे धीरे गाँव में यह बात फैल जाती है कि, हीरालाल के आने से बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं, जैसे ही हीरालाल को पता चलता है, कि लोग उसे अब, चमत्कारी व्यक्ति समझने लगे हैं| उसे अपनी कुंडली में संसय (doubt) उत्पन्न होता है और वह एक प्रसिद्ध ज्योतिषी के पास, अपनी कुंडली लेकर पहुँच जाता है| ज्योतिष आचार्य हीरालाल की कुंडली देखते ही मुस्कुराने लगते हैं|
ज्योतिषी बहुत ज्ञानी थे और वह हीरालाल के ग्रहों और नक्षत्रों से, उसके साथ हो रहे चमत्कार को, देख लेते हैं| वह हीरालाल से कहते हैं, “तुम्हारा कुंडली योग कह रहा है, कि तुम किसी भी व्यक्ति के बिगड़े हुए काम बना सकते हो, लेकिन उन्हीं ग्रहों का दुष्परिणाम यह भी है, कि तुम्हारी वजह से लोगों के बने हुए काम बिगड़ भी सकते हैं और यह तुम्हारी मौजूदगी पर आधारित है, अर्थात यदि तुम किसी के अच्छे कार्य में जाओगे तो, उस कार्य के ख़राब होने के आसार बनेंगे, लेकिन यदि किसी समस्या या तक़लीफ में, फँसे व्यक्ति के पास उपस्थित हुए तो, उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव होंगे और यही तुम्हारी क़िस्मत है| अब तुम्हें ही तय करना होगा कि, तुम अच्छे कार्यों के लिए, पनौती बनोगे या बुरे कार्यों के लिए चुनौती”| दरअसल ज्योतिष आचार्य का कहने का आशय यह था कि, हीरालाल को लोगों के अच्छे कार्यों में जाने से बचना चाहिए और जो लोग परेशानियों से गुज़र रहे हैं, समय निकालकर उनके पास ज़रूर जाना चाहिए और यही हीरालाल के जीवन का सर्वश्रेष्ठ उद्देश्य हो सकता है| तभी उसे मन की शांति मिलेगी| हीरालाल ज्योतिष की बात समझ जाता है और अब वह अपनी ज़िंदगी का लक्ष्य, लोगों की मदद करने को बना लेता है| हीरालाल अपने सभी काम करने के लिए नौकर रख लेता है और अपने खेतों में जाना बंद कर देता है| गाँव में जिस भी व्यक्ति के खेत बंजर हो चुके थे| वह फिर से अपने खेतों में बुवाई शुरू कर देते हैं और हीरालाल को, अपने खेतों में चलने को कहते हैं और लोगों का यह टोटका काम आने लगता है| देखते ही देखते, हीरालाल दूर दूर के गांवों में प्रसिद्ध होता जाता है| लोग दूर दूर से उसके पास, अपनी समस्या लेकर पहुँचने लगते है और वह लोगों की समस्याओं का निराकरण, अपनी क्षमता के हिसाब से कर देता है| अपने आप को पहचानने की वजह से, हीरालाल का श्राप ही उसके लिए वरदान बन चुका था| हीरालाल लोगों के सेवा में, अपना जीवन समर्पित कर देता है और इसी के साथ कहानी का आख़िरी पन्ना बंद हो जाता है|
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