रहस्यमी कुआं | Rahasyamayi kuan | Rochak kahani

रहस्यमी कुआं (rochak kahani):

एक बहुत ही सुंदर गाँव था और वहाँ के लोग हँसी ख़ुशी से अपना जीवन व्यतीत किया करते थे | गाँव के बच्चे सारा दिन गलियों में खेलते रहते और बड़े बूढ़े अपने अपने काम में लगे रहते | सभी का जीवन सामान्य चल रहा था | उन्हीं गाँव वालों में एक चरवाहा रहता था | वह रोज़ अपनी गायों को सुबह जंगल घास चराने ले जाया करता और शाम को वापस आ जाता | अपने दैनिक कार्य के अनुसार चरवाहा अपनी गायों को लेकर जंगल के रास्ते निकलता है और कुछ ही दूर चलते उसे याद आता है, कि वह अपने खाने की पोटली भूल गया है | लेकिन गायों को वापस ले जाने में बहुत समय लग जाएगा, इसलिए वह भागते हुए वापस अपने घर पहुँचता है और वहाँ से खाने की पोटली लेकर वापस अपनी गायों के पास आता है | लेकिन उसकी बहुत सी गाए वहाँ से जा चुकी होती है | चरवाहा परेशान हो जाता है | वह यहाँ वहाँ नज़र घुमाकर अपनी गायों को उनके अलग अलग नाम से बुलाने लगता है | वह बची हुई गायों को वापस घर ले आता है और जंगल में भागकर खोयी हुई, गायों को ढूंढने निकल जाता है | जंगल के कुछ अंदर घुसते ही, उसे एक कुआँ नज़र आता है और वह कुएँ में झांककर देखता है | उसे लगता है, कहीं कोई गाय इस कुएँ मैं ना गिर गई हो | लेकिन उसकी गाय कहीं नज़र नहीं आ रही होती हैं | वह कुएँ में ज़ोर से आवाज़ लगाता है | तभी कुएँ से आवाज़ आती है | “मैं तुम्हारी गाय दे दूँगा, लेकिन मुझे तुम्हारे जीवन के पाँच वर्ष चाहिए” | चरवाहा यह सुनकर जिज्ञासा भरी नज़रों से कुएँ के अंदर झांकने लगता है और दोबारा पूछता है, “कौन हो तुम, कुएँ के अंदर क्या कर रहे हो” ? लेकिन कुएँ के अंदर, कोई नज़र नहीं आता | चरवाहा को एहसास हो जाता है, कि हो ना हो ज़रूर यह कोई रहस्यमी कुआं (Rahasyamayi kuan) है |

रहस्यमी कुआं hindi Rochak kahani
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लेकिन चरवाहे को अपनी गायों की चिंता होती है | वह कुएँ के अंदर झांककर हामी भरते हुए कहता है | कोई बात नहीं तुम मेरे पाँच वर्ष का जीवन ले लो | लेकिन मुझे अभी मेरी सारी गाय चाहिए और अचानक उसकी सभी गाय, आस पास दिखाने लगती है | लेकिन चरवाहा अचानक शरीर से कमज़ोर दिखाई देने लगता है | उसके चेहरे मैं झुर्रियां आ जाती है और वह ऐसा लग रहा था, जैसे कुछ वर्षों के बाद वह दिखने वाला था | लेकिन वह अपने स्वास्थ्य को संभालते हुए, अपनी गायों के साथ अपने गाँव वापस आ जाता है और गाँव वालों को कुएँ की बात बताता है | लेकिन गाँव वाले उसकी बात का यक़ीन नहीं करते | उन्हें लगता है, चरवाहा उनसे झूठ कह रहा है | लेकिन चरवाहे के चेहरे को देखकर, यह साफ़ पता चल रहा था, कि चरवाहा एक ही दिन में कुछ वर्षों के बाद की तरह दिखाई देने लगा था | गाँव के कुछ लोग चरवाहे की बात का पता लगाने के लिए तैयार होते हैं और वह भी चरवाहे के साथ जंगल जाने का फ़ैसला करते हैं | जब वह कुएँ के समीप पहुँचते हैं तो, उसमें से एक बुजुर्ग व्यक्ति कुएँ के अंदर झांककर आवाज़ लगाते है, कोई है ? आए हुए सभी लोग खड़े होकर यह नज़ारा देख रहे होते हैं, लेकिन कुएँ के अंदर से कोई आवाज़ नहीं आती | तभी बुजुर्ग व्यक्ति चरवाहे से कहते हैं कि, तुम तो कह रहे थे कि, यहाँ कोई बोलता है | लेकिन कुएँ से तो आवाज़ नहीं आ रही | चरवाहा कहता है, “बाबूजी आप कुछ माँगिए, तभी आवाज़ जाएगी | बुजुर्ग व्यक्ति विचार करके अपने बच्चे से मिलने की इच्छा जताते हैं जो कि, कई वर्षों से विदेश में नौकरी कर रहा होता है और वह कुएँ में जाकर कहते हैं | “मुझे मेरे बेटे से अभी मिलना है, क्या तुम मिलवा सकते हो ? तभी अचानक कुएँ में से आवाज़ आती है, “मिलवा तो दूँगा, लेकिन तुम्हारे जीवन के पाँच वर्ष काम हो जाएंगे” | कुएँ के अंदर से आवाज़ सुनकर, पास खड़े हुए सभी लोग, आश्चर्य से देखने लगते हैं | तभी बुजुर्ग सोचते हैं, अब तो मरना ही है, क्या करूँगा ज़्यादा ज़िंदगी का और बुजुर्ग कुएँ में झाँक कर कहते हैं, “ले लो मेरी ज़िंदगी के पाँच वर्ष, लेकिन मुझे मेरे बच्चे से अभी मिलना है” और कुछ सेकेंड में उनका बच्चा उनके सामने आकर खड़ा हो जाता है और अगले ही पल बुजुर्ग व्यक्ति बेसुध होकर के ज़मीन पर गिर जाते हैं | सभी बुजुर्ग के पास जाकर उन्हें उठाने की कोशिश करते हैं | लेकिन उनकी साँसे चलना बंद हो चुकी थी |

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दरअसल बुजुर्ग की उम्र पाँच वर्ष की ही बची थी | सभी उनकी मृत्यु होते ही डर जाते हैं और सभी कुएँ से दूर हटने लगते हैं | बुजुर्ग के बच्चे को यह नहीं समझ में आ रहा होता कि, वह अचानक इस जगह पर कैसे आ गया तभी वह अपने पिता जी को गोद में उठाकर सभी की मदद से गाँव ले आता है | सारे गाँव में रहस्यमयी कुएँ की चर्चा आग की तरह फैल जाती है | लेकिन बुजुर्ग की मृत्यु होने से गाँव के सभी लोग, उस कुएँ को शैतानी कुआँ कहने लगते हैं और उस रास्ते की तरफ़ न जाने की सार्वजनिक प्रतिज्ञा करते हैं | रहस्यमी कुआं का राज लोगों के दिलों में ही भयानक डर की तरह बैठ जाता है और दहशत का ये अध्याय समाप्त हो जाता है |

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