रहस्यमयी काला चश्मा | rahasyamayi kala chashma | short kahani in hindi:
चमत्कारों से भरी हुई, इस दुनिया में, किसी को अनमोल वस्तु प्राप्त होना, वरदान से कम नहीं है | रहस्यमयी काला चश्मा ( rahasyamayi kala chashma ) एक ऐसी ही short kahani in hindi ( कहानी ) है | एक बहुत ही अमीर आदमी था, जिसका नाम “धर्मराज” था | उसकी बड़ी बड़ी फैक्ट्रियां थी, जिससे वह, अरबों रुपया कमाया करता था | उसके रिश्तेदार उसे बेहद पसंद करते थे और उसके ऑफ़िस के लोग भी, उसका बहुत सम्मान करते थे | एक दिन धर्मराज, चश्मा ख़रीदना होता है, लेकिन समय की कमी होने की वजह से, वह ऑनलाइन शॉपिंग करना पसंद करता है | इंटरनेट पर ढूंढते हुए, उसे एक रहस्यमयी वेबसाइट मिलती है, जिसमें कुछ अलग ही तरीक़े के, चश्मे और जूते दिखाई दे रहे थे | धर्मराज को एक काला चश्मा पसंद आता है | वह उसे ऑनलाइन ऑर्डर कर देता है | ताज्जुब की बात तो यह है कि, बिना ऑनलाइन पेमेंट किए, पेमेंट कम्पलीट का मैसेज दिखाई देने लगता है | धर्मराज कुछ और चीज़ें देख ही रहा होता है, कि उसके दरवाज़े पर उसकी सेक्रेटरी आती है और कहती है, “सर आपके लिए, एक कोरियर आया है” | जब धर्मराज वह कोरियर खोलकर देखता है, तो आश्चर्य चकित हो जाता है, क्योंकि जो चश्मा उसने अभी ऑर्डर किया है, कोरियर के डब्बे में वहीं चश्मा होता है |
जैसे ही, धर्मराज चश्मा पहनता है, उसे सामने खड़ी सेक्रेटरी की, नकारात्मक बात सुनाई देने लगती है और जैसे ही वह चश्मा उतारता है | सब कुछ सामान्य अवस्था में आ जाता है | धर्मराज को, रहस्यमयी काला चश्मा ( rahasyamayi kala chashma ) मिल चुका था, जिसे पहनने के बाद, किसी भी व्यक्ति के अंदर के राक्षस को देखा जा सकता था | धर्मराज को, एक अदभुत वस्तु मिल चुकी थी, लेकिन इससे उसके जीवन में दुखों के सिवा, कुछ हासिल होने वाला नहीं था | जैसे जैसे धर्मराज को, लोगों के काले चेहरे, साफ़ दिखाई देने लगे, तो उसे आभास हुआ कि, जो लोग उसे पसंद करते थे, दरअसल वह स्वार्थ के भाव से ही, उससे जुड़े थे | अंदरूनी तौर पर, बहुत से लोग तो, उसे जीते भी नहीं देखना चाहते थे | और तो और, उसे अपने परिवार और रिश्तेदारों में भी, बुरा सोचने वाले लोगों की कमी नहीं थी | धर्मराज दुनिया की सच्चाई जानकर दुखी हो जाता है | उसने इतनी दौलत कमाई और इतने लोगों को रोज़गार दिया, फिर भी लोग, उसके प्रति ऐसे भाव रख रहे हैं | धर्मराज, अपने साथ हमेशा रहस्यमयी काला चश्मा ( rahasyamayi kala chashma ) रखता था | वह हर व्यक्ति को, चश्मा पहनने के बाद ही मिलता था | एक दिन वह, अपने ऑफ़िस में बैठा, कुछ काम कर रहा होता था, तभी ऑफ़िस का चपरासी, कॉफी लेकर आता है | धर्मराज उसे देखते ही, उसके विचार पढ़ लेता है | वह व्यक्ति अंदर से बहुत दुखी था, क्योंकि अपनी, छोटी सी तनखाह की वजह से, वह अपनी पत्नी का, इलाज नहीं करवा पा रहा था इसलिए मन ही मन, धर्मराज को कोस रहा होता है | उसकी दुख की, वजह पता चलते ही, धर्मराज उसे बैठने को कहता है और उससे बातों बातों में निकलवा लेता है, कि उसे पैसों की ज़रूरत है |
धर्मराज, चपरासी की पत्नी के, इलाज के मुताबिक़ पैसे, अपने आलमारी से, निकाल कर दे देता है | पैसे मिलते ही, चपरासी के विचार, धर्मराज के लिए बदल जाते हैं, जिससे धर्मराज को, थोड़ा ख़ुशी मिलती है, लेकिन धर्मराज सभी को पैसे से ख़ुश नहीं कर सकता था | वह दुखी रहने लगा, क्योंकि आज तक उसने, जो भी सफलता हासिल की थी, उससे वह लोगों का सम्मान प्राप्त कर रहा था, जिसकी वजह से, उसे ख़ुशी मिलती थी, लेकिन जब लोगों के दिलों की सच्चाई, उसके सामने आयी तो, वह जीवन की असली रूप से वाक़िफ़ हो गया | एक रात धर्मराज की फ़ैक्ट्री में आग लग जाती है | ख़बर मिलते ही, धर्मराज फ़ैक्ट्री में पहुँच जाता है | फ़ायर ब्रिगेड की गाड़ियां, मौक़ा ए वारदात पर पहले से ही मौजूद होती है, लेकिन आग इतनी भीषण है, कि सारी फ़ैक्ट्री जलकर ख़ाक हो जाती है | आग लगने का कारण, पता करने के लिए, पुलिस की टीम आती है, जो फ़ैक्ट्री में काम कर रहे, सभी कर्मचारियों से बयान लेती है, लेकिन उन्हें कुछ सही जानकारी प्राप्त नहीं होती, तभी धर्मराज पुलिस टीम के सामने आते हैं और उन्हें असली मुजरिम पकड़ कर दे देते हैं | वह कोई और नहीं बल्कि उन्हीं की फ़ैक्ट्री का मैनेजर था, जिसने एक साज़िश के तहत, यह काम किया था | पुलिस वाले जब मैनेजर से, कढ़ाई के साथ पूछताछ करते हैं, तो वह अपना जुर्म क़बूल कर लेता है | पुलिस वाले धर्मराज से कहते हैं, “आपको कैसे पता चला, कि यही अपराधी है” ? धर्मराज मुस्कुराते हुए, अपना रहस्यमयी काला चश्मा ( rahasyamayi kala chashma ) पहनते हैं और कहानी ख़त्म हो जाती है |
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