नागराज । Nagraj | Hindi Kahani Lekhan | Nagraz

नागराज । Nagraj | Hindi Kahani Lekhan | Nagraz (Mistry animal story):

नागराज । Nagraj सापों के राजा की एक रहस्यमयी hindi kahani lekhan है | पृथ्वी की भू गर्व में, जीवों की बहुत बड़ी दुनिया बसती है, जहाँ कई तरह के अनेकों, जीव जन्तु रहते हैं | उन्हीं में से, एक प्रजाति साँपों की भी है, जो धरती के अंदर अपना साम्राज्य बसा चुकी हैं | एक भयानक जंगल था, जिसके बीचों बीच में, नदी के किनारे एक पहाड़ था और उसी पहाड़ी में नागराज रहता था, जो सांपों का राजा था | उसके पास अपार शक्तियाँ थी, लेकिन वह पृथ्वी की रक्षा करने के लिए उत्तरदायी था | नागराज की बहुत विशाल सर्प सेना थी, जो उसके एक इशारे पर कोहराम मचा सकती थी | जंगल के सभी जीवों का राजा, वैसे तो शेर को ही माना जाता है, लेकिन इस जंगल का राजा नागराज था, जिसने पूरे जंगल में, अपना वर्चस्व बना लिया था |एक बार कुछ लोग परिवार के साथ, जंगल में भटक कर पहुँच जाते हैं | परिवार के सदस्यों में दो पुरुष, दो महिलाएँ, दो छोटी बच्चियाँ और एक छोटा बच्चा भी था | काफ़ी देर तक वह, जंगल से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढते हैं, लेकिन जंगल इतना घना था कि, सूरज की किरणें भी अंदर नहीं आ सकतीं थी | दोनों पुरुषों में, एक का नाम राजू और दूसरे का नाम विनोद था | विनोद, राजू का बड़ा भाई था | वह थोड़ा सीधा साधा नहीं था, इसलिए वह जंगल के अंदर सबसे ज़्यादा घबरा रहा होता है | परिवार के सभी सदस्य, विनोद को समझाते हैं और दिलासा देते हुए कहते हैं कि, “आप चिंता मत करो, हम कुछ न कुछ रास्ता ज़रूर निकाल लेंगे” | राजू थोड़ा हिम्मती था, वह सभी को लेकर आगे बढ़ने लगता है | बच्चे छोटे होते हैं, इसलिए उन्हें गोद में लेकर आगे बढ़ते हैं | सबसे छोटा बच्चा, सिर्फ़ पाँच वर्ष का होता है | उसे जंगल में मज़ा आ रहा होता है | वह ऊँचे ऊँचे पेड़ पौधों को देखकर, बहुत ख़ुश होता है | काफ़ी दूर चलने के बाद, राजू को एक विशाल पहाड़ नज़र आता है |

Hindi Kahani Lekhan
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वह अपने परिवार से कहता है, “जल्दी चलो, हमें उस पहाड़ के ऊपर चलना होगा, तभी हमें सही दिशा का पता चलेगा” | सभी चलते चलते थक चुके होते हैं | पहाड़ के किनारे एक नदी बह रही होती है, जिसे देखते ही सभी पानी पीने के लिए दौड़ लगा देते हैं | नदी के पास पहुँचते ही, सभी पानी पीने लगते हैं | नदी की धारा सामान्य होती है इसलिए नदी को पार करना आसान था | विनोद और राजू अपने पूरे परिवार को नदी पार करवा देते हैं लेकिन, अचानक राजू चिल्लाकर पूछता है, “हमारा मुन्ना (छोटा बेटा ) कहाँ है” दरअसल जल्दबाज़ी में, नदी पार करने के चक्कर में, छोटे बच्चे की तरफ, किसी का ध्यान नहीं गया और वह बच्चा तितलियों का पीछा करते हुए, जंगल के अंदर चला गया | विनोद और राजू, औरतों और बच्चियों को, उसी पहाड़ के किनारे बैठाकर, दोबारा नदी पार करके जंगल की तरफ़ आते हैं और ज़ोर ज़ोर से अपने बच्चे को पुकारने लगते हैं और यहाँ दूसरी तरफ़, अपने बच्चे के ग़म में, पहाड़ के किनारे पर बैठीं औरतें, ज़ोर ज़ोर से रो रही होती है | उनके रोने की आवाज़ से नागराज  पहाड़ की सुरंगों से, अपनी सेना के साथ बाहर आते हैं | पहाड़ के हर हिस्से में, कई साँप बैठे होते हैं और इन्हीं के बीच नागराज धीरे धीरे औरतों की तरफ़ बढ़ता आ रहा होता है, अचानक औरतों की नज़र, पहाड़ पर बैठे साँपों पर पड़ती है | वह डर से चीखने लगती हैं और अपने बच्चियों को, अपनी गोद में छुपा लेती हैं | तभी नागराज उनके सामने आकर विशाल फ़न फैलाकर खड़े हो जाते हैं |

Nagraj नागराज
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और सभी से कहते हैं, कि “तुम लोगों को यहाँ से बाहर जाने के लिए, अब मेरी नाग सेना रास्ता दिखाएंगी | तुम लोग जल्द ही, इस जंगल से बाहर चले जाओ | यहाँ रहना ख़तरनाक हो सकता है” | राजू और विनोद भी, बोलता हुआ साँप देखकर, दंग रह जाते हैं लेकिन, उन्होंने अपने बच्चों को पा लिया था, इससे बड़ा चमत्कार कुछ नहीं हो सकता था, इसलिए वह नागराज को देव रूप मान लेते हैं और अपने परिवार के साथ, जंगल से सापों के पीछे पीछे चल देते हैं | कुछ ही दूर उन्हें, एक सुरंग दिखाई देती है | साँप वहीं जाकर रुक जाते हैं और उन्हें जाने का इशारा करते हैं | एक एक करके राजू अपने पूरे परिवार को, सुरंग के द्वार से, जंगल से बाहर निकाल देता है | नागराज इस परिवार के लिए, किसी फ़रिश्ते से कम नहीं थे, जिन्होंने इन्हें इनका खोया हुआ, अनमोल उपहार दे दिया और इसी में चमत्कार के साथ यह डरावनी कहानी समाप्त हो जाती है |

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